जमीन मालिक से ज्यादा जमीन दलाल कमा गए पैसे

सारंगढ़ – सारंगढ़ बिलाईगढ जिला बनने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री जोरों पर चल रहा कोचिया इतना सक्रिय हो गया की सिर्फ सारंगढ़ नगर ही नही बल्कि आपस के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सक्रिय हो चुके है पट्टाधारी ही नहीं बल्कि बेजा कब्जा (शासकीय भूमि ) तक को नही छोड़ रहे है जमीन मालिक कोचिया की चंगुल में फसकर अधिक दाम देने को मजबूर हो गए ऐसा ही एक मामला सारंगढ़ जिला मुख्यालय से महज 4 से 5 किलो मीटर की दूरी कोतरी ग्राम का है जहा जमीन की खरीदी बिक्री काफी तेजी से चल रहा है जिसमें दलाल भूमिका काफ़ी सक्रिय देखी जाती है और कम दामों की जमीन जहाँ पर दलाल की भूमिका हो वहां पे जमीन की दाम (भाव ) आसमान छूने लगता है। जिसका जीता जागता उदाहरण कोतरी में देखने को मिल रहा है आपको बता दें की ग्राम कोतरी है जहा दलालों के माध्यम से छोटे झाड़ के जंगल (नजुल जमीन ) को स्टाम्प में शपत पत्र के माध्यम के खरीदी बिक्री की गई है। और काफ़ी मोटी रकम को आपस में बटवारा किया गया है। वहीं नजुल जमीन की खरीददार दूसरे जगह से ताल्लुक रखता है, अगर नजुल जमीन की खरीददार कोतरी का ही रहता तो उक्त जमीन को कब्जा माना जा सकता था लेकिन किसी दूसरे गांव से है तो यह जमीन खरीदी बिक्री दलालों का बिजनेश कहाँ जा सकता है सूत्रों के माने तो ग्राम कोतरी में छोटे झाड़ के जंगल को कब्ज़ा कर खरीदी बिक्री तेजी से चल रहा है
क्या कहतें है नजुल जमीन के खरीददार
जब इस संबध में खरीदार से जानकारी लिया गया तो छोटे झाड़ के जंगल जमीन को खरीददार ने ही दूरभाष के माध्यम से हमारे मिडिया टीम द्वारा पूछा गया तो उनका कहना था की उस जमीन को मैं अपने किसी रिश्तेदार के लिए 7 लाख 65 हजार में खरीदा हु और वह जमीन लगभग 11ढीस्मिल है। जिसमें दलाल लोग 2 लाख 65 को अपने पास रखें है और बाकी बचा पैसा मालिक को दिया गया अब सवाल यह उठता है की दलाल ने मालिक से मिलने वाली रकम की आधी कीमत एक सेटिंग में कमा लिया अगर वहीं जमीन मालिक या खरीददार सीधे आमने सामने होते तो शायद बिचौलिया का हिस्सा नहीं जुड़ता
बिचोलिया ने मीडिया टीम को ही धमकाने में उतारू हो गए और अन्य कई बेजा कब्जा का नाम उजागर करने लग गए
वही जैसे ही इस समंध में जानकारी लेने ऊक्त जमीन पर पहुंचे तब लोग स्थान पर पहुंचकर पहले तो धमकाने लगे की आपको कौन भेजा है कौन बताया उनका नाम बताए कहते हुए और भी अन्य कब्जा को लेकर मौखिक तौर पर कहने लग गए यहां तक की तालाब पार तक का कब्जा के संबध में खुद जानकारी देने लग गए फिलहाल यह तो सिर्फ एक मामला सामने आया है लेकिन खुद ग्रामीण जिस तर्ज पर बता रहे उसके लिहाजा देखा जाय तो नजूल जमीन की खरीदी बिक्री काफी जोरो पर चल रहा अब देखना यह है की समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रशासन किया संज्ञान लेते है