आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सड़क पर,न्याय की गुहार – सरकार के खिलाफ गरजा आक्रोश

सारंगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर अपने हक और अधिकार की आवाज बुलंद की। सोमवार को सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता तहसील कार्यालय के सामने एकत्र हुए और धरना प्रदर्शन किया। हाथों में बैनर-पोस्टर और नारों से गूंजते स्वर प्रशासनिक परिसर में माहौल को गर्माते नज़र आए।

धरना स्थल पर कार्यकर्ताओं ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि वर्षों से वे बच्चों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा के साथ निभा रही हैं, लेकिन बदले में उन्हें सम्मानजनक मानदेय और स्थायी नौकरी का दर्जा तक नहीं मिल रहा।
धरने को संबोधित करते हुए संगठन की पदाधिकारियों ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र की रीढ़ हैं। वे सुबह से शाम तक गांव-गांव में घर-घर जाकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण की देखरेख करती हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि सरकार उन्हें श्रमिक समझकर हाशिये पर धकेल रही है।



प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं का प्रमुख मांगे
1- देश में 50 वर्ष से लागू आई सी डी एस योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्टो मे कार्यरत कार्यकर्ता सहायिकाओं कोभी शिक्षाकर्मी पंचायत कर्मी की तरह शासकीय करण की नीति बनाकर शासकीय कर्मचारी घोषित किया आवे और कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जावे।
2-शासकीय कर्मचारी घोषित होते तक पूरे देश में एक समान वेतन कार्यकर्ता को प्रतिमाह 26000/- और सहायिका को 22100/-(कार्यकर्ता का 85%) शीघ्र लागू किया जावे।
3- समाजिक सुरक्षा के रूप में सेवानिवृत्ति पर सभी कार्यकती सहायिकाओं को पैशन, सेज्यूवेटी समूह बीमा और कैशलेश चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाये।
4-सहायिका को कार्यकर्ता के पद पर और कार्यकर्ता को सुपरवाईजर के पद पर सिधे पदोन्नति दिया जावे। जिस तरह से सन् 1998-99 में नौति बनाकर किया गया था।
5-सरकार द्वारा वर्तमान में पोषण ट्रेकर. THR वितरण में फेस कैप्चर. कार्यकर्ता सहायिकाओं के उपस्थिति का फेस केप्चर FRS और e-KYC के माध्यम से केन्द्र के सभी कार्य को डिजिटल किया गया है. जिससे हितग्राहियों को और कार्यकर्ता सहायिकाओ को कई व्यवहारिक परेशानी और कठिनाईयो का सामना करनी पड़ रही है. इसे बंद कर आफ लाईन सभी कार्य लिया जावे।।
6:-मंहगाई भता दिया जावे. मान. उच्च न्यायालय गुजरात द्वारा ग्रेज्युवेटी और न्यूनतम वेतन के संबंध में पारित निर्णय को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जावे 1
7:-सेवा निवृत्ति पश्चात पेंशन ग्रेजुवेटिः 35-40 वर्ष विभाग की सेवा करने के बाद भी बुढ़ापे के समय जीवन यापन हेतु ना तो कोई पेंशन मिल रहा है और ना ही एक मुश्त राशि कार्यकर्ता को ₹10000/और सहायिका को ₹8000/मासिक पेंशन और बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के लिए कार्यकर्ता को 5 लाख रुपयेऔर सहायिका को 4 लाख रुपये एक मुस्त रोजुवेटि राशि प्रदान किया जावे।
8 अनुकंपा नियुक्ति: कार्यकर्ता सहायिका के आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दिया जावे ।
धरने में शामिल कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कई बार वे अपनी समस्याएं सरकार और प्रशासन तक पहुंचा चुकी हैं, मगर हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता है। इस बार उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा और राजधानी तक कूच किया जाएगा।
धरने के दौरान कार्यकर्ताओं का जोश देखते ही बन रहा था। नारे गूंज रहे थे—
“मानदेय नहीं मज़ाक चाहिए, हमें पूरा हक़ चाहिए!”
“काम हमारा गिनती का, सम्मान हमारा क्यों छीना जा रहा!”
आख़िर में कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा और समस्याओं का जल्द निराकरण करने की मांग की।
धरना समाप्त हुआ जरूर, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की आंखों में आक्रोश और उम्मीद दोनों झलक रहे थे। साफ है कि अगर उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया तो यह आंदोलन आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है।