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निजी स्कूल भवन निर्माण पर शासकीय जमीन पर कब्ज़ा कर बनाया जा रहा सडक

प्रशासन खुद अपनी शासकीय भूमि नहीं बचा पा रही ?

सारँगढ़- सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले मे प्रशासन खुद अपनी शासकीय भूमि को सुरक्षित रखने मे असफल नजर आ रही मानो सारंगढ़ मे कोई क़ानून व्यवस्था ही नहीं जब चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी भूमि पर कब्ज़ा कर अपनी निजी स्वार्थ पूरा कर सकता है चाहे ओ शासकीय भूमि ही क्यों ना हो ऐसे ही एक मामला निकलकर सामने आया है जहाँ शासकीय भूमि पर जबरन अतिक्रमण कर अपनी व्यवसाय के लिए सड़क बना रहा !आपको बता दे सारँगढ़ से महज 12 किलोमीटर दूर सालर ग्राम में स्कूल भवन निर्माण किया जा रहा है जिसकी सच्चाई जान के हैरान हो जाएंगे जानकारों की माने तो ग्राम सालार गाँव उपार्जन केंद्र के पीछे निजी स्कूल भवन निर्माणधीन है करोडो रुपये लगाकर स्कूल भवन का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन साथ मे शासकीय भूमि को जानते हुए भी जबरन तरीके से कब्ज़ाकर अपने फायदे के लिए मिट्टी वाली सडक को चौड़ीकारण कर अब पक्की सडक बनाने मे भवन मालिक लगा हुआ है जबकि ग्रामीणों और जानकारों का कहना है की पहले छोटी सी मेड के रूप मे रास्ता था और साथ ही यह भी बताया जा रहा है की ग्राम पंचायत सालर द्वारा शासकीय राशि स्वीकृति कर नया तालाब निर्माण किया गया था उसी नया तालाब के मेड पार जिस पर ग्रामीण पहले चलकर खेती किसानी के लिए जाते थे उसे पाट कर सड़क बनाया जा रहा है और तालाब का अस्तित्व खतरे पर है शासन ने लोगो की निस्तारी के लिए 2022 में लगभग 7 लाख रुपये से अधिक की राशि के रूप मे नया तालाब स्वीकृति कर निर्माण कराया गया है जिस मंशा से शासन के पैसे लगाए गाय थे आमजन इसका लाभ ले सके और साथ ही शासकीय भूमि भी सुरक्षित हो सके लेकिन अब तालाब को संरक्षित करने में जिम्मेदारो ने हाथ खड़ा कर दिया है ?

दो महीने पीछे तहसीलदार नें जाँच कर अतिक्रमण पर रोक लगाई थी जैसे ही अधिकारी का तबदला हुआ कब्ज़ाधारी फिर कब्ज़ा करनें लगा

जैसे ही कब्ज़ा करने का मामला तहसीलदार आयुष तिवारी के पास पंहुचा कब्ज़ा मामला को संज्ञान लिया और जाँच करनें पहुचे जाँच मे पाया गया था की स्कूल भवन के मालिक नें नया तालाब निर्माण पूर्व मे हुआ था उसे पाटकर लगभग 40 से 50 फिट तक की सडक अपनी मर्जी से बना दिया था जिसमे तहसीलदार नें साफ तौर पर फटकार लगाते कार्य पर रोक लगा दिया था और साथ ही कब्ज़ा हटाने का भी निर्देश दिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद जैसे ही जाँचकर्ता आयुष तिवारी का ट्रांसफऱ हुआ मानो मामला ठंडा बस्ते मे चला गया और कब्ज़ाधारी नें फिर से कब्ज़ा करना शुरू कर दिया और इस बार कब्ज़ाधारी नें सीसी रोड जैसे पक्की सडक बनाने की तैयारी मे लगा हुआ है प्रशासन नें क्या कब्ज़ाधारी को खुला छूट मिल दे दिया? या मामला साठगाठ की डोरी मे बंध गया? या फिर कब्ज़ाधारी के हौसले इतने बुलंद है की उन्हें शासन प्रशासन का डर नहीं? जाँच मे दोषी फिर भी कब्ज़ाधारी कब्ज़ा करने मे लगा है अब देखना यह होगा की खबर प्रकशित होने के बाद प्रशासन कब्ज़ाधारी पर प्रशासन की संज्ञान लेता है या नहीं?

MUKESH JOLHEY

CHIEF EDITOR HINDI MEDIA

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