दर्जनों रेती से भरी ट्रैक्टर को समझाइस देकर छोड़ा 3 ट्रैक्टर पर कार्यवाही खनिज विभाग सहायक ग्रेड 2 कर्मचारी रविन्द्र पटेल पर उठ रहे सवाल

सारंगढ़ – सारँगढ़ में इन दिनों खनिज विभाग के कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह है विगत महीने कलेक्टर ने खनिज और राजस्व विभाग की संयुक्त रूप से टास्क फोर्स बनाया था अवैध कार्य को रोकने के लिए किन्तु जिला खनिज विभाग के ऊपर मुख्यमंत्री से शिकायत हो रही है कई सत्तापक्ष के नेताओ ने विभाग के कार्यशैली पर उदासीनता और काम काज में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया है लगातार खनिज विभाग अखबार और सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रही है

आज त्योहार छुट्टी के दिवस पर जिले के खनिज विभाग सहायक ग्रेड 2 कर्मचारी रविन्द्र पटेल ने अपने निज निवास ग्राम दर्राभांटा में 3 रेती ट्रैक्टर को जप्त कर बीडीसी शंकर चौहान को सुपुर्द किया गया यही से मामला एक बार खनिज विभाग को सुर्खियों में डाल रहा जहां कार्यवाही की प्रशंसा करे या फिर कार्यवाही के नाम पर दोहरा चरित्र आपको बता दे सारंगढ़ मुख्यालय से महज 6 से 7 किलोमीटर दूर ग्राम दर्राभाठा है जहा से गांव होते हुए नदेली बाईपास निकल जाता है ठीक उसी रास्ते पर लगातार रेत से भरी गाड़ियों की आवागम से ग्रामीण परेशान हो चुके बताया जा रहा जिसके चलते ग्रामीणों ने आज तड़के सुबह से रास्तों पर पत्थर डाल आवागम रोक दिया गया और 3 रेत से भरी गाड़ियों पर कार्यवाही किया गया यह कार्यवाही खनिज विभाग द्वारा किया गया जिसे बताए अनुसार ग्रामीण ने कार्यवाही किया बताया जा रहा है वही पर विभाग के कर्मचारियों का दोहरा चरित्र समाने आता दिखाई दे रहा

समझाइश के नाम पर दर्जनों गाड़िया छूट गई और महज 3 गाड़ियों पर कार्यवाही ?
आपको बता वही जब इस संबंध में रविन्द्र पटेल से जानकारी लिया गया तो उन्होंने बताया की सड़क खराब होने की वजह से ग्रामीणों ने रेत परिवहन करने वाले वाहन चालकों को रोक लिया गया और इस रास्ते से गुजरने से मना किया गया लगभग दर्जनों गाड़ियों को समझाइश दिया गया और उन्हे रोक कर कुछ समय बाद छोड़ दिया गया इस तरह से लगभग 25 से 30 गाड़ियों को समझाइश से छोड़ दिया गया और सिर्फ 3 गाड़ियों पर चलानी कार्यवाही किया गया कार्यवाही में सिर्फ दो कर्मचारी थे एक तो उसी गांव के सहायक ग्रेड दो के कर्मचारी रविन्द्र पटेल जो उसी गांव के निवासी और जिस जगह पे कार्यवाही किया गया वही उसका घर है दूसरा एक पुलिस गार्ड बंशी जायसवाल जो मौहपाली का है सिर्फ दो कर्मचारी ने 3 गाड़ी पर कार्यवाही की और बाकी गाडियां को सिर्फ समझाई दिया गया सवाल यही उठता है की आखिर बाकी गाड़ियों को समझाइश के आधार पर कैसे छोड़ दिया गया और नियम तो यही कहता है कि अगर कार्यवाही करनी थी तो सभी गाड़ियों पर की जानी थी और समझाइए से छोड़नी थी तो सबको समझाइश देकर छोड़नी थी लेकिन ऐसा नही हुआ
सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला में नहीं कोई रेत ठेका
अवैध रेत परिवहन पर लगातार कार्यवाही खनिज विभाग द्वारा देखने को मिल रहा जबकि जिले में तो कोई लीज पर रेत घाट नही तो अब किसी अवैध माने और कैसे शासकीय कोई रेत घाट होता तो बात कुछ और था कार्यवाही और ठेका दोनो पर थोड़ा विचार करने की जरूरत नजर आ रहा है ? कार्यवाही होना अच्छी बात है लेकिन कार्यवाही के नाम पर दोहरा नीति अपनाना ये थोड़ा समझ से परे नजर आ रहा जबकि सहायक ग्रेड दो के कर्मचारी सुबह से मौजूद थे लेकिन कहते है की साहब से बात नही हुई थी इसलिए समझा कर छोड़ा गया बाकी गाड़ियों और जैसे ही खनिज अधिकारी से संपर्क हुआ 3 गाड़ियों पर विभाग ने अपनी कलम चला दी जबकि बाकी गाड़ियों की तरह इनके साथ भी समझाइश का व्यवहार कर सकते थे लेकिन नहीं किया गया आखिर क्यों?